जब राजनेता अपना जमीर, आत्म सम्मान बेच दे तो राजनीति का वैश्यावृतिकरण
(Prostitution of Politics) शुरू होता है ये राजनीति का वैश्यावृतिकरण यू पी ए सरकार की ही देन हैं। बोडो आसाम राज्य की मिटटी से जुड़ी स्थानीय जनजाति है। बोडो जो भारत की संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, बांग्लादेश की सीमा से आने वाले घुसपैठिये आज उन पर हमला कर रहे हैं और यू पी ए सरकार सुन्न होकर देख रही है। हुजी, आई एम और आई एस आई जैसे आंतकी गुटों की शह में आसाम के धरती की छाती पर पिछले कई वर्षों से ये बांग्लादेशी घुसपैठ पाकिस्तान का झंडा बैखोफ लहरा रहे है।
क्या मुस्लिम वोटों के लालच में यू पी ए सरकार इतनी अंधी हो गयी है कि इस धीमे जहर को चुपचाप फैलने दिया ? 1998 में रिटायर्ड लैफ्टीनेंट जनरल एस. के. सिन्हा जो उस समय असम के गर्वनर थे, के द्वारा भारत के राष्ट्रपति के. आर. नारायणन को यह कहकर चेतावनी दी गयी थी कि यदि इस भारत में अवैध घुसपैठ पर लगाम नही लगाई गयी तो भारत देश की सुरक्षा को गहन खतरा है। इस पर कांग्रेस एंव सी पी एम ने सिन्हा पर सामप्रादियक दंगों को उकसाने का आरोप लगाते हुये 22 कांग्रेस सांसदों द्वारा पत्र लिखवा राष्ट्रपति से
सिन्हा को वापिस बुलाने की मांग की। इन तथ्यों को जानते हुये भी भारत की सुरक्षा के लिये इस सरकार ने इस अवैध घुसपैठ पर कोई लगाम लगाने की जरूरत नही समझी, बल्कि हमारे प्रधानमंत्री के इस चुनाव क्षेत्र में बडे सम्मान से इन घुसपैठियों का राशन कार्ड और वोटर कार्ड से स्वागत होता रहा, आज हम उसी की सजा भुगत रहे है।
एक सप्ताह में करीब 500 गांवों से दो लाख तक लोग बेघर हो गये है और ऐसे में उसी आसाम राज्य के श्री मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री है, जो न पहले कुछ बोले न अब कुछ बोल रहे है, न ही कोई सख्त कदम उठा रहे है।
सेकुलरिज्म की परिभाषा बार बार समझाने वाली इस यू पी ए सरकार ने गुजरात दंगों के समय नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने में कोई कसर नही छोडी़, कि नरेन्द्र मोदी ने दंगें शुरू होने के दो दिन बाद रोकथाम के कदम उठायें। अब जब आसाम में दगें हो रहे है तब एक सप्ताह बाद तक भी यू पी ए सरकार की तरफ से न कोई ठोस कदम उठाया गया, न श्री मनमोहन सिंह, न श्रीमति सोनियागांधी और न ही श्री राहुल गांधी ने इस विषय में कुछ बोला .... आखिर क्यों ?
पिछले कुछ महीनों से आसाम जल रहा है और यू पी ए सरकार अपनी आंखे सेक रही है। विकीलिक्स द्वारा उदघाटित श्री राहुल गांधी जहां हिन्दू आंतक (Hindu Terror) की बात करते है, वही क्या आज उन्हें बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों का आंतक नजर नही आता? लगता है यू पी ए सरकार से उम्मीद रखना अब बेवकूफी है क्यूंकि इस देश में 125 करोड़ भारतवासी होने के बावजूद, अवैध रहने वाले बांग्लादेशी घूसपेंठियें भारत की गरिमा पर वार कर रहे है, आंतक फैला रहे है और सरकार अपने नेतृत्व में कमजोर पड़ रही हैं।
इस घटना से भारत वासियों को एक सीख लेने की आवश्यकता है कि सौ गधों का यदि एक शेर नेतृत्व करता है तो वो अवश्य विजय प्राप्त करता है, पर अगर सौ शेरों का यदि कोई एक गधा नेतृत्व करता है तो वह अवश्य पराजित होता है।
यू पी ए सरकार का नेतृत्व केवल 'खोखले नेतृत्व' का प्रदर्शन कर रहा है, ऐसे में यू पी ए सरकार के नेतृत्व पर कई प्रश्न खडें होते है। आज समय है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को जागना होगा, अपने देश, अपनी मिटटी, अपनी संस्कृति एवं अपने आत्मसम्मान को बचाने के लिये ऐसी नाकाम सरकार को जड़ से उखाड़ फैंकना होगा।
Lets Wake-up India and Shake-up this UPA Govt.
याद रहे अगर हम अपना इतिहास नही बचा पाये तो हम अपना भविष्य भी नही बना पायेगें।
(Prostitution of Politics) शुरू होता है ये राजनीति का वैश्यावृतिकरण यू पी ए सरकार की ही देन हैं। बोडो आसाम राज्य की मिटटी से जुड़ी स्थानीय जनजाति है। बोडो जो भारत की संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, बांग्लादेश की सीमा से आने वाले घुसपैठिये आज उन पर हमला कर रहे हैं और यू पी ए सरकार सुन्न होकर देख रही है। हुजी, आई एम और आई एस आई जैसे आंतकी गुटों की शह में आसाम के धरती की छाती पर पिछले कई वर्षों से ये बांग्लादेशी घुसपैठ पाकिस्तान का झंडा बैखोफ लहरा रहे है।
क्या मुस्लिम वोटों के लालच में यू पी ए सरकार इतनी अंधी हो गयी है कि इस धीमे जहर को चुपचाप फैलने दिया ? 1998 में रिटायर्ड लैफ्टीनेंट जनरल एस. के. सिन्हा जो उस समय असम के गर्वनर थे, के द्वारा भारत के राष्ट्रपति के. आर. नारायणन को यह कहकर चेतावनी दी गयी थी कि यदि इस भारत में अवैध घुसपैठ पर लगाम नही लगाई गयी तो भारत देश की सुरक्षा को गहन खतरा है। इस पर कांग्रेस एंव सी पी एम ने सिन्हा पर सामप्रादियक दंगों को उकसाने का आरोप लगाते हुये 22 कांग्रेस सांसदों द्वारा पत्र लिखवा राष्ट्रपति से
सिन्हा को वापिस बुलाने की मांग की। इन तथ्यों को जानते हुये भी भारत की सुरक्षा के लिये इस सरकार ने इस अवैध घुसपैठ पर कोई लगाम लगाने की जरूरत नही समझी, बल्कि हमारे प्रधानमंत्री के इस चुनाव क्षेत्र में बडे सम्मान से इन घुसपैठियों का राशन कार्ड और वोटर कार्ड से स्वागत होता रहा, आज हम उसी की सजा भुगत रहे है।
एक सप्ताह में करीब 500 गांवों से दो लाख तक लोग बेघर हो गये है और ऐसे में उसी आसाम राज्य के श्री मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री है, जो न पहले कुछ बोले न अब कुछ बोल रहे है, न ही कोई सख्त कदम उठा रहे है।
सेकुलरिज्म की परिभाषा बार बार समझाने वाली इस यू पी ए सरकार ने गुजरात दंगों के समय नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने में कोई कसर नही छोडी़, कि नरेन्द्र मोदी ने दंगें शुरू होने के दो दिन बाद रोकथाम के कदम उठायें। अब जब आसाम में दगें हो रहे है तब एक सप्ताह बाद तक भी यू पी ए सरकार की तरफ से न कोई ठोस कदम उठाया गया, न श्री मनमोहन सिंह, न श्रीमति सोनियागांधी और न ही श्री राहुल गांधी ने इस विषय में कुछ बोला .... आखिर क्यों ?
पिछले कुछ महीनों से आसाम जल रहा है और यू पी ए सरकार अपनी आंखे सेक रही है। विकीलिक्स द्वारा उदघाटित श्री राहुल गांधी जहां हिन्दू आंतक (Hindu Terror) की बात करते है, वही क्या आज उन्हें बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों का आंतक नजर नही आता? लगता है यू पी ए सरकार से उम्मीद रखना अब बेवकूफी है क्यूंकि इस देश में 125 करोड़ भारतवासी होने के बावजूद, अवैध रहने वाले बांग्लादेशी घूसपेंठियें भारत की गरिमा पर वार कर रहे है, आंतक फैला रहे है और सरकार अपने नेतृत्व में कमजोर पड़ रही हैं।
इस घटना से भारत वासियों को एक सीख लेने की आवश्यकता है कि सौ गधों का यदि एक शेर नेतृत्व करता है तो वो अवश्य विजय प्राप्त करता है, पर अगर सौ शेरों का यदि कोई एक गधा नेतृत्व करता है तो वह अवश्य पराजित होता है।
यू पी ए सरकार का नेतृत्व केवल 'खोखले नेतृत्व' का प्रदर्शन कर रहा है, ऐसे में यू पी ए सरकार के नेतृत्व पर कई प्रश्न खडें होते है। आज समय है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को जागना होगा, अपने देश, अपनी मिटटी, अपनी संस्कृति एवं अपने आत्मसम्मान को बचाने के लिये ऐसी नाकाम सरकार को जड़ से उखाड़ फैंकना होगा।
Lets Wake-up India and Shake-up this UPA Govt.
याद रहे अगर हम अपना इतिहास नही बचा पाये तो हम अपना भविष्य भी नही बना पायेगें।
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