Sunday, 27 May 2012

चचाजान नेहरु सिर्फ ऐयाश ही नही बल्कि भ्रष्ट भी था |

चचाजान नेहरु सिर्फ ऐयाश ही नही बल्कि भ्रष्ट भी था |
[३ जून १९८८ को नवभारत टाइम्स मे छपी खबर ]
मित्रों, जो "चचाजान " नेहरु हमारे उपर जबरजस्ती थोपे गए है , जबरजस्ती इसलिए क्योकि शायद नेहरु कांग्रेसियो के माँ के देवर लगते थे इसलिए उन्हें भारत का चचाजान बना दिया | और हम आमिर खान के प्रोग्राम मे देखते ही है कि लोगो को ऐसे चचाजान और अंकल से सावधान रहने की हिदायत दी जाती है | ये चचाजान नेहरु कितने भ्रष्ट थे और इनके अंदर लोकतंत्र के प्रति क्या भावना थी वो इस लेख से पता चलता है |
जवाहर लाल नेहरु देश मे हुए प्रथम आम चुनाव मे यूपी की रामपुर सीट से पराजित घोषित हो चुके कांग्रेसी प्रत्याशी मौलाना अबुल कलम आज़ाद को किसी भी कीमत पर जबरजस्ती जिताने के आदेश दिये थे | उनके आदेश पर यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं गोविन्द वल्लभ पन्त ने रामपुर के जिलाधिकारी पर घोषित हो चुके परिणाम बदलने का दबाव डाला और इस दबाव के कारण प्रशासन ने जीते हुए प्रत्याशी विशन चन्द्र सेठ की मतपेटी के वोट मौलाना अबुल के पेटी के डलवाकर
दुबारा मतगणना करवाकर मौलाना अबुल को जीता दिया |
मित्रों, ये रहस्योदघाटन यूपी के तात्कालीन सुचना निदेशक शम्भुनाथ टंडन ने अपने एक लेख मे किया है | उन्होंने अपने लेख "जब विशन सेठ ने मौलाना आजाद को धुल चटाई थी ..भारतीय इतिहास की एक अनजान घटना " मे लिखा है की भारत मे नेहरु ही बूथ कैप्चरिंग के पहले मास्टर माइंड थे | उस ज़माने मे भी बूथ पर कब्जा करके परिणाम बदल दिये जाते थे और देश के प्रथम आम चुनाव मे सिर्फ यूपी मे ही कांग्रेस के १२ हारे हुए प्रत्याशियों को जिताया गया | देश के बटवारे के बाद लोगो मे
कांग्रेस और खासकर नेहरु के प्रति बहुत गुस्सा था लेकिन चूँकि नेहरु के हाथ मे अंतरिम सरकार की कमान थी इसलिए नेहरु ने पूरी सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल
करके जीत हासिल थी थी | देश के बटवारे के लिए हिंदू महासभा ने नेहरु और गाँधी की तुष्टीकरण की नीति को जिम्मेदार मानते हुए देश मे उस समय जबरजस्त आन्दोलन चलाया था और लोगो मे नेहरु के प्रति बहुत गुस्सा था | इसलिए हिंदू महासभा ने कांग्रेस के दिग्गज नेताओ के खिलाफ हिंदू महासभा के दिग्गज
लोगो को खड़ा करने का निश्चय किया था .. इसीलिए नेहरु के खिलाफ फूलपुर से संत प्रभुदत्त ब्रम्हचारी और मौलाना अबुल के खिलाफ रामपुर से भईया विशन चन्द्र सेठ को लडाया गया | नेहरु को भी अंतिम राउंड मे जबरजस्ती २००० वोट से जिताया गया | वही सेठ विशन चन्द्र के पक्ष मे भारी मतदान हुआ और मतगणना के
पश्चात प्रशासन ने बकायदा लाउडस्पीकरों से सेठ विशन चंद को १०००० वोट से विजयी घोषित कर दिया | और फिर रामपुर मे हिंदू महासभा के लोगो ने विशाल विजयी जुलुस भी निकाला | फिर जैसे ही ये खबर वायरलेस से लखनऊ फिर दिल्ली पहुची तो मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की अप्रत्याशित हार की खबर से नेहरु तिलमिला और तमतमा उठे | उन्होंने तुरंत यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं गोविन्द वल्लभ पन्त को चेतावनी भरा संदेश दिया की मै मौलाना की हार
को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नही कर सकता , अगर मौलाना को जबरजस्ती नही जिताया गया तो आप अपना इस्थीपा शाम तक दे दीजिए |
फिर पन्त जी ने आनन फानन मे सुचना निदेशक [जो इस लेख के लेखक है ] शम्भूनाथ टंडन को बुलाया और उन्हें रामपुर के जिलाधिकारी से सम्पर्क करके किसी भी कीमत पर मौलाना अबुल को जिताने का आदेशदिया .. फिर जब शम्भुनाथ जी के कहा की सर इससे दंगे भी भडक सकते है तो इस पर पन्त जी ने कहा की देश
जाये भांड मे नेहरु जी का हुकम है | फिर रामपुर के जिलाधिकारी को वायरलेस पर मौलाना अबुल को जिताने के आदेश दे दिये गए | फिर रामपुर के सीटी कोतवाल ने सेठ विशनचन्द्र के पास गया और कहा कि आपको जिलाधिकारी साहब बुला रहे है .. जबकि वो लोगो की बधाईयाँ स्वीकार कर रहे थे | और जैसे ही जिलाधिकारी ने उनसे कहा कि मतगणना दुबारा होगी तो सेठ विशन चन्द्र ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि मेरे सभी कार्यकर्ता जुलुस मे गए है ऐसे मे आप बिना मतगणना एजेंट के दुबारा कैसे मतगणना कर सकते है ? लेकिन उनकी एक नही सुनी गयी .. और डीएम के साफ साफ कहा कि सेठ जी हम अपनी नौकरी बचाने के लिए
आपकी बलि ले रहे है क्योकि ये नेहरु का आदेश है | शम्भुनाथ टंडन जी ने आगे लिखा है कि चूँकि उन दिनों प्रत्याशियो के नामो की अलग अलग पेटियां हुआ
करती थी और मतपत्र पर बिना कोई निशान लगाये अलग अलग पेटियों मे डाले जाते थे इसलिए ये बहुत आसान था कि एक प्रत्याशी के वोट दूसरेकी पेटी मे मिला दिये जाये |
देश मे हुए प्रथम आमचुनाव की इसी खामी का फायदा उठाकर ऐसय्श नेहरु ने इस देश की सत्ता पर काबिज हुआ था और उस नेहरु ने इस देश मे जो भ्रष्टाचार के बीज बोये थे वो आज उसके खानदान के "काबिल" वारिसों के अच्छी तरह देखभाल करने की वजह के एक वटवृक्ष बन चूका है |

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