Monday 2 April 2012

नरेंद्र मोदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मीडिया दोगला रुख क्यों दिखाती है ?

मित्रों , जब भी कोई भी कोर्ट मोदी जी या गुजरात सरकार के खिलाफ कोई फैसला देती है तो भारत की सभी मीडिया इसे पूरे दिन कई अजीब अजीब भारीभरकम शीर्षकों के साथ न्यूज़ चलाती है .. जैसे --"मोदी को जोरदार झटका" "मोदी पर खतरा" "क्या मोदी बचेंगे " आदि आदि

लेकिन कल सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिसे किसी भी चैनेल ने नही दिखाया | असल मे गुजरात या मोदी जी पर आये हुए 92 % फैसले गुजरात सरकार या मोदी जी के पक्ष मे रहे है लेकिन मीडिया सिर्फ उन्ही फैसले पर ही सारा दिन समाचार दिखाती है जो मोदी जी के खिलाफ हो |

कल जन संघर्षमंच जिसके सर्वेसर्वा तीस्ता जावेद और शबनम हाशमी और मुकुल सिन्हा है की अर्जी जिसमे उन्होंने मांग की थी कि नानावटी कमीशन को मोदी जी को पूछताछ के लिए बुलाया जाय | लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इस अर्जी को ख़ारिज कर दिया बल्कि मुकुल सिन्हा को कड़ी फटकार लगाई |

हलाकि इसके पहले जब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आफताब आलम की खण्डपीठ ने गुजरात सरकार और नानावती कमीशन को नोटिस जारी किया था .जिसे सुप्रीम कोर्ट ने वापस ले लिया और कहा कि किसी भी जज को कोई भी फैसला सुनाते समय भारत के कानून और सम्विधान को जरूर देखना चाहिए ...

कानूनन कोई भी न्यायिक आयोग पूरी तरह से स्वत्रंत होता है और किसी भी आयोग को नोटिस भेजने की सत्ता सुप्रीम कोर्ट के पास नहीं है ..और सुप्रीम कोर्ट अपनी गलती सुधारते हुए नोटिस वापस लेता है और साथ मे सभी पक्षों से इस गलती के लिए खेद जताता है |

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने [सुप्रीम कोर्ट ] ने पहले ही अपनी देखरेख मे सीट का गठन किया है जो हर एक मामले को बड़ी ही ईमानदारी और सच्चाई से देख रही है ..

मित्रों , क्या आप अब भी भारतीय मीडिया को निष्पक्ष कहेंगे ? किसी भी मीडिया ने एक मिनट के लिए भी इस खबर को ब्रेक नही किया ..

असल मे भारतीय मीडिया सिर्फ कहने को ही भारतीय है .. अगर आप किसी भी मीडिया हॉउस के इन्वेस्टर प्रोफ़ाइल को देखेंगे तो आपको सच पता चल जायेगा .. सभी न्यूज़ चैनेलो मे विदेशी लोग या विदेश कंपनी ही इन्वेस्टर है .. इसलिए ये सारे न्यूज़ चैनेल एक दोगलेपन से खबर को ब्रेक करते है |

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